आपकी गैरमौजूदगी की आदत हो गई
आपके साएं की तलब भी मिट गई
अब याद न दिलाओ दिन जब गुलज़ार थे
अब कांटो से खेलने की लत लग गई
Poems by Rohit Malekar
आपकी गैरमौजूदगी की आदत हो गई
आपके साएं की तलब भी मिट गई
अब याद न दिलाओ दिन जब गुलज़ार थे
अब कांटो से खेलने की लत लग गई