बरसात

The last stanza is an ode to the original song from the 2001 movie Yaadien

कुछ रोज पहले ऐसी
बरसात हुई थी
मुद्दतो बाद याद तेरी
आई हुई थी

कुछ सांसे सहमी सी
बोझल हुई थी
घडी भी शायद थोड़ी
रुकी हुई थी

जिंदगी एक किताब सी 
बनी हुई थी
जहाँ एक अधूरी कहानी
छिपी हुई थी

तू पहचान जिसमे मेरी
बन ना पाई थी
कुछ खामोश ख्वाइशें भी
वहाँ खोई हुई थी

“कुछ साल पहले दोस्तों
एक बात हुई थी
हमको भी मोहब्बत 
किसी के साथ हुई थी”

तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे

This is an attempted extension to the original song

अपना बना ले पिया
अपना बना ले पिया
सुनी इस डगर पे
हाथ तू थाम ले पिया

अकेली हैं ये रातें हाँ रातें हाँ रातें
बदली हैं जाने कितनी करवटे 
बैचिनी सताए जब तेरी ही बातें 
करते हैं सपने सारे

आसमान में भी नही कोई सितारा तेरे जैसा
तेरी काया को खुदा भी दोहरा ना पाया
मेरी किस्मत पे मैं खुद ही शक करु 

आके मुझे मेरी तनहाई से छुड़ा ले
तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे
तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे
तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे

हिफाजत

जमीन से निकली हैं चीखें
कब तक गूंगे बनें रहोगे?
अतीत को अनदेखा कर
क्या भविष्य बनाओगे?

क्या विधान पढ़ोगे?
क्या कानून लिखोगे?
नए इस दरबार में जाने
किसकी हिफाजत करोगे?

#WrestlersProtests #ParliamentNewBuilding

कत्ल

नाचीज़ की इस एक
दिक्कत को सुलझाईएगा
झुकी हुई पलकों में
दिल को ना कैद कीजिएगा
कैसे माँगू रिहाई मगर
उठी पलकों से कत्ल जो हो जायेगा

बेइख्तियार

कुछ अधूरे नगमो को कैसे
तुम्हारे नाजो अंदाज से भर दूं
तुम्हारे सोहबत में मैं कैसे
मसरूर बन कर रह जाऊ

खोए हुए कदमों को कैसे
अनदेखी राहों पर ले जाऊ
बीतें कुछ लम्हों को कैसे
तुम्हारी आरजूओं से भर दूं

इस वक्त को मैं कैसे
बेइख्तियार कर दूं
जिंदगी की कुछ सुर्खियां कैसे
तुम्हारे साथ फिर से जी लूं

हँसी

आज ये पलकें बोझल ही रहेंगी
आज धड़कनों में राहत नहीं होगी
आज ख्वाइशें भारी सी लगेगी
आज साँसे भी सारी शोर मचाएंगी

उलझने जिंदगी कोई
आज सुलझने नही देगी

आज बादल को कोई हटाएगा नही
आज तूफान को कोई रोकेगा नहीं
आज कश्ती को कोई बचाएगा नही
आज दिल को कोई सवारेगा नही

तकदीर को कोई
आज तबदील करेगा नही

कल मगर एक नई सुबह आएगी
कल शायद कोई राह दिख जायेगी
कल कही कोई मुराद मंज़िल पाएगी
कल शायद जीने की तमन्ना मिलेगी

आज को याद कर कल
थोड़ी हँसी भी आ जायेगी

बेजुबान

तू कहां
चल दी
ए जिंदगी

अंजान राहें
तन्हा ये बाहें
रूसवे जो इतने
जुदा हम हमसे

टूटे सपने
गमगीन आंखे
आंगन में बिखरे
ख्वाइशों के अंगारे

ढूंढे पल हलके
ये बोझल पलके
दिलसे पर बरसे
बेजुबान चीखें

तू कहां
चल दी
ए जिंदगी

सुकून

सुकून का एक पल
चुरा लेने दो
इस मंजर की एक याद
छुपा लेने दो
मौसम से थोड़ा सा इत्मीनान
छीन लेने दो
आज एक दूसरे की कुछ सांसे
सुन लेने दो

सोहबत

एक ख्वाब
कुछ जुर्म सा हैं
आज बेनकाब
कुछ दिल सा हैं

ये बेताब
कुछ लम्हे कह गए
वो शादाब
तेरी मौजूदगी में हो गए

सब बेअदब
मेरे इस इकबाल में हैं
अब सबब
अल्फाजों से परे हैं

एक हिसाब
टूटे उसूल माँग रहें
तेरे सोहबत
की कीमत ढूंढ रहें

जाने रब
तुझे महसूस करने की सजा
झेलेंगे अब
किसी अफसोस के बिना