एक ख्वाब
कुछ जुर्म सा हैं
आज बेनकाब
कुछ दिल सा हैं
ये बेताब
कुछ लम्हे कह गए
वो शादाब
तेरी मौजूदगी में हो गए
सब बेअदब
मेरे इस इकबाल में हैं
अब सबब
अल्फाजों से परे हैं
एक हिसाब
टूटे उसूल माँग रहें
तेरे सोहबत
की कीमत ढूंढ रहें
जाने रब
तुझे महसूस करने की सजा
झेलेंगे अब
किसी अफसोस के बिना