वक़्त को यूँ ठहराया ना करो
चाँद को यूँ जलाया ना करो
मक़सद हमारे यूँ बदलाया ना करो
आदत तुम्हारी यूँ लगाया ना करो
बेजार दिल ने की शिकायत खुदा से
क्यों तराशा तेरे चेहरे को इतने इत्मिनान से
बोला इसलिए समाया तुझमे कायनात को
ताकि मेरी हस्ती पे शक तुम किया ना करो