एक पतंग की डोर सी
थी सीधी साधी जिंदगी
आकर पवन के झांसे में
कुछ गुमराह सी हो गई
जोश में उड़ान जो भरी
कुछ गांठे ये सख्त हो गई
Poems by Rohit Malekar
एक पतंग की डोर सी
थी सीधी साधी जिंदगी
आकर पवन के झांसे में
कुछ गुमराह सी हो गई
जोश में उड़ान जो भरी
कुछ गांठे ये सख्त हो गई