ये बेक़रार तेरी आहट में
इत्मीनान पाता हैं
ये मोहताज तेरे साये में
पनाह पाता हैं
ये मुसाफिर तेरी जुस्तजू में
मंजिल पाता हैं
ये कंजर तेरी निगाहों में
जहाँ पाता हैं
तू नहीं यहाँ मगर
तेरी जुदाई सहकर
ये काफिर तेरी हस्ती में
खुदाई पाता हैं
Poems by Rohit Malekar
ये बेक़रार तेरी आहट में
इत्मीनान पाता हैं
ये मोहताज तेरे साये में
पनाह पाता हैं
ये मुसाफिर तेरी जुस्तजू में
मंजिल पाता हैं
ये कंजर तेरी निगाहों में
जहाँ पाता हैं
तू नहीं यहाँ मगर
तेरी जुदाई सहकर
ये काफिर तेरी हस्ती में
खुदाई पाता हैं