भुरळ

धुक्यामध्ये धुकं हरवलं
माझं मन तुझ्यात गुंतलं
आरश्यात कोण उभं
माझं मलाच झालं परकं

खळी तुझ्या गालावर
मग माझी का सावरा सावर?
डोळ्यात तुझ्या काजळ
हृदयात माझ्या का वावटळ?

तुझ्या वेणीतलं फुल
त्याच्याशी ही माझी जळजळ
तुझ्या पायातलं पैंजण
तुझी आणखी एक आठवण

कसा होणार सांभाळ?
कधी होणार तुझ्याशी मेळ?
किती करशील माझा छळ?
उतरेल का कधी तुझी भुरळ?

लत

आपकी गैरमौजूदगी की आदत हो गई
आपके साएं की तलब भी मिट गई
अब याद न दिलाओ दिन जब गुलज़ार थे
अब कांटो से खेलने की लत लग गई

बरसात

The last stanza is an ode to the original song from the 2001 movie Yaadien

कुछ रोज पहले ऐसी
बरसात हुई थी
मुद्दतो बाद याद तेरी
आई हुई थी

कुछ सांसे सहमी सी
बोझल हुई थी
घडी भी शायद थोड़ी
रुकी हुई थी

जिंदगी एक किताब सी 
बनी हुई थी
जहाँ एक अधूरी कहानी
छिपी हुई थी

तू पहचान जिसमे मेरी
बन ना पाई थी
कुछ खामोश ख्वाइशें भी
वहाँ खोई हुई थी

“कुछ साल पहले दोस्तों
एक बात हुई थी
हमको भी मोहब्बत 
किसी के साथ हुई थी”

तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे

This is an attempted extension to the original song

अपना बना ले पिया
अपना बना ले पिया
सुनी इस डगर पे
हाथ तू थाम ले पिया

अकेली हैं ये रातें हाँ रातें हाँ रातें
बदली हैं जाने कितनी करवटे 
बैचिनी सताए जब तेरी ही बातें 
करते हैं सपने सारे

आसमान में भी नही कोई सितारा तेरे जैसा
तेरी काया को खुदा भी दोहरा ना पाया
मेरी किस्मत पे मैं खुद ही शक करु 

आके मुझे मेरी तनहाई से छुड़ा ले
तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे
तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे
तू मेरा कोई ना होके भी कुछ लागे

हिफाजत

जमीन से निकली हैं चीखें
कब तक गूंगे बनें रहोगे?
अतीत को अनदेखा कर
क्या भविष्य बनाओगे?

क्या विधान पढ़ोगे?
क्या कानून लिखोगे?
नए इस दरबार में जाने
किसकी हिफाजत करोगे?

#WrestlersProtests #ParliamentNewBuilding

Wake Up

Wake up 
‘Coz while you have been living
you have not been feeling,
you have been existing
With so little sensing

Wake up 
Not to the sounds that you hear 
but to the sobs that you don’t
to who you really are
to what you bear

Wake up
‘Coz what gains are any good for
Showing yourself to the world
When those close struggle 
to see you unfurled.

Wake up. Breathe. Feel. Love.

कत्ल

नाचीज़ की इस एक
दिक्कत को सुलझाईएगा
झुकी हुई पलकों में
दिल को ना कैद कीजिएगा
कैसे माँगू रिहाई मगर
उठी पलकों से कत्ल जो हो जायेगा

बेइख्तियार

कुछ अधूरे नगमो को कैसे
तुम्हारे नाजो अंदाज से भर दूं
तुम्हारे सोहबत में मैं कैसे
मसरूर बन कर रह जाऊ

खोए हुए कदमों को कैसे
अनदेखी राहों पर ले जाऊ
बीतें कुछ लम्हों को कैसे
तुम्हारी आरजूओं से भर दूं

इस वक्त को मैं कैसे
बेइख्तियार कर दूं
जिंदगी की कुछ सुर्खियां कैसे
तुम्हारे साथ फिर से जी लूं