नाचीज़ की इस एक
दिक्कत को सुलझाईएगा
झुकी हुई पलकों में
दिल को ना कैद कीजिएगा
कैसे माँगू रिहाई मगर
उठी पलकों से कत्ल जो हो जायेगा
Poems by Rohit Malekar
नाचीज़ की इस एक
दिक्कत को सुलझाईएगा
झुकी हुई पलकों में
दिल को ना कैद कीजिएगा
कैसे माँगू रिहाई मगर
उठी पलकों से कत्ल जो हो जायेगा