तू कहां
चल दी
ए जिंदगी
अंजान राहें
तन्हा ये बाहें
रूसवे जो इतने
जुदा हम हमसे
टूटे सपने
गमगीन आंखे
आंगन में बिखरे
ख्वाइशों के अंगारे
ढूंढे पल हलके
ये बोझल पलके
दिलसे पर बरसे
बेजुबान चीखें
तू कहां
चल दी
ए जिंदगी
Poems by Rohit Malekar
तू कहां
चल दी
ए जिंदगी
अंजान राहें
तन्हा ये बाहें
रूसवे जो इतने
जुदा हम हमसे
टूटे सपने
गमगीन आंखे
आंगन में बिखरे
ख्वाइशों के अंगारे
ढूंढे पल हलके
ये बोझल पलके
दिलसे पर बरसे
बेजुबान चीखें
तू कहां
चल दी
ए जिंदगी