कसूर

एक कसूर करने जा रहाँ हूँ
कुछ एक सुर छोड़ जा रहाँ हूँ

जिन नगमों को हम गा ना सकें
तेरे आँगन में दफन किये जा रहाँ हूँ

तेरी आँखरी साँसों की गूँज समेट
कुछ खामोशी ढूंढने जा रहाँ हूँ

मक़रूज़ जिंदगी से कुछ जवाब
अब उसूल करने जा रहाँ हूँ

एक खुदा की खुदगर्ज़ी का कसूर
गवारा करने जा रहाँ हूँ

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